एक बार जंगल में छोटे जीवों के बीच राजा चुनने की कवायद हुई। अपने उम्मीदवारी पेश करने में सांप, चूहा, खरगोश और कॉक्रोच आगे थे। सबसे पहले खरगोश ने कहा की मैं इस पद के लिए उपयुक्त उम्मीवार है क्यूंकि वो सब जीवो में सबसे तेज़ दौड़ सकता है और किसी भी खतरा होने की स्थिति में तुरंत ही सबको चौकन्ना कर सकता है। इसके बाद चूहे ने कहा की वो पद के लिए सबसे उपयुक्त दावेदार है क्योंकि वो बिल बनाने में माहिर है और किसी भी खतरे की होने की स्थिति में सभी को बिल बना कर सुरक्षित बचा लेगा। अब मच्छर की बारी थी, उसने बोला की वो किसी भी परिस्थिति में रह सकता है और सबसे मजबूत है, इसीलिए उसी को राजा बनना चाहिए।
जब सब बोल चुके तो सांप ने बोला की सब किसी ना किसी में माहिर हैं पर किसी में भी मेरे जितने ताकत नहीं है। मेरे अंदर भयंकर विष है और मैं किसी भी आने वाले शत्रु को मार सकता हूँ। इसीलिए राजा मुझे ही बनना चाहिए। साँप की दावेदारी सबको मजबूत लगी और सबने उसको राजा बनाने की तैयारी शुरू कर दी।वहां पर एक नेवला ये बैठ कर सब देख रहा था और उसने कहा की सांप राजा पद के लिए सही नहीं है क्यूंकि वो डरावना है और वो हमारी तरह दीखता भी नहीं है क्यूंकि इसको चार पैर भी नहीं हैं। और इसके पास कोई भी अपनी समस्या लेकर जाने से डरेगा। ये बात सुनकर सभी चुप हो गए और सभी ने माना की सांप को राजा नहीं बनाया जा सकता है। चुकिं शाम हो चुकी थी इसीलिए सब अगले दिन फिर से राजा चुनने के लिए एकत्रित होने की बात कहकर चले गए। ये सब देखकर सांप नेवले से बहुत क्रोधित हुआ और उससे कहा की तुम्हारी वजह से मैं राजा नहीं बन पाया इसीलिए अब से तुम और मैं शत्रु हुए और तभी से सांप और नेवले में भयंकर शत्रुता चली आ रही है।कहानी से सीख- हर जगह बिना वजह अपनी राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए और हमेशा सोच समझकर बोलना चाहिए।
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