क्या आप जानते है, अगर एक मेंढक को ठंडे पानी के बर्तन में डाला जाए और उसके बाद पानी को धीरे धीरे गर्म किया जाए तो मेंढक पानी के तापमान के अनुसार अपने शरीर के तापमान को समायोजित या एडजस्ट कर लेता है|
जैसे जैसे पानी का तापमान बढ़ता जाएगा वैसे वैसे मेंढक अपने शरीर के तापमान को भी पानी के तापमान के अनुसार एडजस्ट करता जाएगा|
लेकिन पानी के तापमान के एक तय सीमा से ऊपर हो जाने के बाद मेंढक अपने शरीर के तापमान को एडजस्ट करने में असमर्थ हो जाएगा| अब मेंढक स्वंय को पानी से बाहर निकालने की कोशिश करेगा लेकिन वह अपने आप को पानी से बाहर नहीं निकाल पाएगा|
वह पानी के बर्तन से एक छलांग में बाहर निकल सकता है लेकिन अब उसमें छलांग लगाने की शक्ति नहीं रहती क्योंकि उसने अपनी सारी शक्ति शरीर के तापमान को पानी के अनुसार एडजस्ट करने में लगा दी है| आखिर में वह तड़प तड़प मर जाता है|
वह तो मेंढक है लेकिन हम मनुष्य है और कही बार हम भी छोटी परिस्थितियो के साथ स्वंय को ढाल लेते है और अंत में बुरी तरह से फंस जाते है । भगवान ने बुद्धि तो सब दी है लेकिन उसका सही प्रयोग हम मनुश्य ही कर पाते। अगर हमने यह बुद्धि भी गलत कामो में लगा दी तो फिर क्या फायदा । हमें मनुष्य बनना है मेंढक नही । और जब कोई इस तरह की स्थिति पैदा हो जाये तो भगवान ने हमे बुद्धि के साथ विवेक भी दिया है हमे ईमानदारी के साथ अपने विवेक से फैसले लेने चाहिये।
Tags:
PANCHTANTRA STORIES