सोच सोच का फर्क/ Difference of Thinking/ spiritual thoughts

राम के बड़े भाई ने एक बार उसे एक महंगी गाडी गिफ्ट में दी। एक दिन बाहर निकलने पर राम ने देखा कि चौदह पंद्रह साल का एक गरीब लड़का गाडी के अन्दर झाँक रहा था। राम को आते देख कर वह पीछे हट गया।
फिर धीरे से उसने राम से पूछा।
अंकल, क्या यह गाडी आपकी है ? राम बहुत अच्छे मूड में था। वह बोला, हाँ,
मेरे भाई ने यह कार मुझे गिफ्ट में दी है।
लड़का हैरान होकर बोला, अच्छा !
यानी, आपको इस गाडी का कोई पैसा नही देना पडा। राम सोचने लगा कि अब यह बोलेगा, काश, मेरे पास भी ऐसा कोई भाई होता। लेकिन इसके वजाय वह लड़का बोला,
काश मैं भी एक दिन ऐसा भाई बन पाऊ। राम उसकी बातों से काफी खुश था। राम ने उस लड़के से पूछा, चलो, तुम्हे तुम्हारे घर तक छोड़ दूँ। लड़का ख़ुशी से खिलखिला उठा। दोनों गाडी में बैठ गए। जब गाडी आगे बड़ी, तो लड़के ने कहा ,
क्या आप मेरे घर के सामने थोड़ी देर रूक सकते है ?
राम ने मुहं बनाते हुए सोचा,
गरीब लोगो की बस यही बात मुझे पसंद नही है। मैंने ज़रा से उससे पूछ क्या लिया, अब यह मुझ पर ही सवारी करेगा। मुझे पता है अब ये जाकर पुरे मुहल्ले वालों को अपना रौब दिखाएगा। और बोलेगा, देख, कितना बड़ा साहब मुझे घर तक छोड़ने आया है।
राम कुछ जवाब देता, उससे पहले ही वह लड़का बोल पडा, बस वो जो सीढ़ी दिख रही है न, वही गाडी रोक देना। आप यही रुकना। मैं बस दो मिनट में आया। वह लड़का दौड़ता हुआ सीढ़ियों के ऊपर चला गया। कुछ ही पल बाद राम ने देखा कि वह लड़का सीढ़ियों से नीचे चला आ रहा है ,
लेकिन बहुत धीरे-धीरे संभलकर उतरते हुए। राम ने देखा कि उसने एक और लड़के को अपनी गोद में उठा रखा है, जिसके दोनों पैर नही है। सीढ़ियों से उतर कर अंतिम सीढ़ी पर अपने भाई को बिठाकर वह अपने भाई से बोला, देखा जैसा मैंने तुमको ऊपर बताई थी, ठीक वैसी ही है ना। अंकल के बड़े भाई ने उन्हें गिफ्ट में दी है। एक दिन मैं भी तुम्हे ऐसी ही गाडी गिफ्ट में दूंगा। फिर तुम्हे पुरे शहर की सैर कराने लेकर जाउंगा। और वह जो बाज़ार है ना, जहां से मैं तुम्हारे लिए कपडे लेकर आता हूँ, वह भी तुम्हे दिखाउंगा।
राम को अहसास हुआ जैसा मैं सोच रहा था। वह फिर एक बार गलत निकला।गाडी से उतर कर वह दोनों लड़कों से बोला, क्यों न हम आज ही सैर पर चले ? दोनों लड़के के चेहरे ख़ुशी से चमक रहे थे। वह उनके लिए एक यादगार दिन था। राम को भी उनका साथ अच्छा लगा।
: कई बार हम बिना सोंचे समझे किसी अन्य के बारे में गलत
धरना बना लेते है जो की बिलकुल भी गलत है। बिना सोंचे समझे किसी अन्य के बारे में धारणा बनाना अहंकार का सूचक है।
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