समझने व खोजने से ही मिलती है सफलता/ Story of Tenali Raman


 एक मुर्ख राजा था। उस राजा का बहुत ही बड़ा राज्य था। एक दिन वह अपने राज्य का भ्रमण करने के लिए निकला। राजा कुछ ही दूर गया होगा कि वापस अपने महल आ गया और आते ही अपने मंत्रियों से कहा कि, “मेरे पैरों में बहुत ही तेज दर्द हो रहा है।“
मंत्रियों ने जब राजा से दर्द का कारण पूछा तो राजा ने कहा, “मार्ग में जो कंकड़ पत्थर थे वे मेरे पैरों में चुभ गए और मुझे इसका कुछ हल निकालना होगा।“
राजा ने कुछ देर विचार करने के बाद अपने मंत्रियों को आदेश दिया कि राज्य की संपूर्ण सड़कें चमड़े से ढ़क दी जाएं, ताकि जब वह अगली बार राज्य भ्रमण पर निकले, तो उसके पैरों में कोई कंकर न चुभे।

 उस मुर्ख राजा का ऐसा आदेश सुनकर सभी मंत्रिगण सकते में आ गए, लेकिन किसी ने भी राजा को कुछ समझाने की हिम्मत नहीं दिखाई। सभी मंत्रिगण जानते थे कि राजा का ये आदेश मानने योग्‍य नहीं है क्योंकि राज्य की सभी सड़कों को चमड़े से ढ़कने के लिए लाखों जानवरों को मारना पड़ेगा और कोई भी इतने सारे जानवरों को मारने के पक्ष में नहीं था।
उसी राज्य में तेनालीराम नाम का एक बहुत ही समझदार व्यक्ति रहता था। मंत्रीगणों ने अपनी इस समस्या का कुछ उपयुक्त समाधान प्राप्‍त करने के लिए तेनालीराम से सलाह लेने का निर्णय किया। वे सभी तेनालीराम के पास पहुँचे और उसे राजा के मुर्खतापूर्ण आदेश के बारे में बताया व उससे पूछा कि, “क्या कुछ ऐसा उपाय हो सकता है जिससे राजा की बात भी रह जाए और समस्‍या का समाधान भी हो जाए।“
तेनालीराम ने समस्या सुनी और कुछ देर चुप रहने के बाद कहा, “ठीक है। आपकी समस्या का समाधान है मेरे पास लेकिन उसके लिए मुझे राजा के पास जाना होगा। सो मुझे राजा के पास ले चलें।“
सेनापति तेनालीराम को राजा के पास ले गए और राजा से निवेदन किया- “राजन यह तेनालीराम आपसे कुछ कहना चाहता है।“
राजा ने कहा- “कहो तेनालीराम तुम क्‍या कहना चाहते हो?“
तेनालीराम ने डरते हुए कहा- “महाराज… मेरे पास एक सुझाव है, जो मैं आपको बताना चाहता हूँ ताकि राज्य के धन का दुरूपयोग भी न हो और सड़कों को चमड़े से ढ़कने के लिए हजारों जीवों को भी न मारना पड़े। साथ ही आपके पैरों मैं कंकर चुभने की समस्या का हमेंशा के लिए समाधान भी हो जाए।“
राजा आश्चर्यचकित थे क्योंकि पहली बार राज्य के किसी साधारण से व्यक्ति ने उसकी आज्ञा न मानने की बात कही थी। लेकिन फिर भी राजा ने कहा- “बताओ क्या सुझाव है।“

 तेनालीराम ने कहा- “महाराज, पूरे राज्य की सड़कों को चमड़े से ढंकने के बजाय यदि आप चमड़े के एक टुकड़े का उपयोग कर अपने पैरों के लिए जूतियां बनवा लें, इससे आपके पैर भी ढंके रह जाएंगे और कंकर भी नहीं चुभेंगे।”
राजा ने अचरज भरी नजरों से तेनालीराम को देखा। राजा को तेनालीराम का सुझाव उपयोगी लगा और उसके सुझाव को मानते हुए अपने लिए चमड़े की जूतियां बनवाने का आदेश  दे दिया। साथ ही तेनालीराम को अपने सलाहकारों में शामिल कर लिया।


इस कहानी का सारांश ये है कि समस्या चाहे कितनी भी बड़ी क्‍यों न हो, उसका एक सरल हल भी हमेंशा मौजूद रहता है और उस सरल हल को देखने, समझने व खोजने वाला व्यक्ति ही जीवन में सफल होता है।

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